Saturday 20 October 2018

TU JO NAHI HAI TO KUCH BHI NAHI HAI ( Part -1)





          

मन रिया को बालो से पकड़ कर मार रहा है , रिया अपने तेज नाखुनो से नोच रही है, तभी मन की मम्मी की नजर पड़ जाती है और वह आकर दोनों को अलग करती है, मन को डाटती  हुई लेकर एक साइड में चल देती हैं।  मन रिया को धमकाते हुवे -
मन - इस बार मम्मी गई नहीं तो बताता
रिया - तेरी मम्मी गई तभी तू बच गया
रिया जिसकी उम्र 5 साल है और और मन की 6 साल।  दोनों बच्चो में बिलकुल नहीं बैठती है।  मन अपने मामा के यहाँ आया है और रिया का घर मन के मामा के पड़ोस में ही है।  गर्मियों की छुट्टी में हर साल मन अपनी माँ के साथ अपने मामा के यहाँ जाता है। दोनों की लड़ाई रोज की बात थी कभी कभी तो दो तीन बार हो जाता था और दोनों में विश्वयुद्ध जैसी नौबत जाती।  मन की माँ और रिया की माँ दूर के रिश्ते में भाभी और नन्द लगती थी और बहुत प्यार था। 
दोनों को लड़ते देखकर मन की माँ और रिया की माँ  हसने लगते।  एक दिन जब दोनों ऐसे ही लड़ रहे थे तो मन की माँ ने रिया की माँ से कहा की दोनों लड़ते हुवे कितने अच्छे लगते है , सोचो अगर दोनों की शादी कर दी जाये तो।
दीदी ऐसा हो जाये तो सच में कितना अच्छा हो ( रिया की माँ हसते हुवे बोली )
ठीक है तो आज से तुम हम समधन हुवे (मन की माँ ने रिया की माँ से कहा )
मन और रिया दोनों अभी लड़ ही रहे थे , रिया जब कमजोर पड़ने लगी तो वही पड़ा एक छोटा सा पथ्थर उठा कर मन को मारने दौड़ी , मन भाग चला।  रिया की माँ आकर रिया को पकड़ी। 
अब तो रिया की माँ और मन की माँ अक्सर एक दूसरे को समधन कहकर बुलाते। कुछ दिन रहकर मन अपने घर वापस आ गया।  अगले दो तीन साल तक यही चलता रहा। मन मामा के यहाँ जाता और रिया से लड़ता झगड़ता। एक बार रिया मन के साथ गुड्डा और गुड़िया का खेल खेल रही थी। गुड्डा और गुड़िया के खेल में गुड्डा गुड़िया से शादी होनी रहती है।  गुड्डे की तरफ से मन और गुड़िया की तरफ से रिया खेल रही थी।  गुड्डे और गुड़िया की शादी होती है और फिर जब गुड्डी की बिदाई का समय होता है तो रिया रोने लगती है।  रिया को रोते देखकर मन भी रोने लगता है। रिया मन से पूछती है , बिदाई मेरी है तुम क्यों रो रहे हो।
मन - तुम रो रही हो इसलिए मै रो रहा हु। दोनों लिपटकर खूब रोये .
समय पंख लगाकर उड़ने लगा। धीरे धीरे दोनों दसवीं पास कर गए और 15 साल के हो गए।  इसी दौरान मन 5 साल अपने मामा के यहाँ जा भी नहीं पाया, तभी एक घटना घटी।  मन के पापा से गांव के एक खुखार और दुष्ट ब्यक्ति के साथ दुश्मनी हो गई।  उसने मन को जान से मारने की कोशिश की पर मन बच गया।  अब तो मन के पापा और मम्मी को उसका गांव में रहना सुरक्षित नहीं लगा तो मन को उसके मामा के यहाँ भेज दिए।  मन मामा के यहाँ पंहुचा तो सब बहुत दुलार कर रहे थे। मन चद्दर ओढ़कर सो रहा था, तभी सुबह कोई आकर उसका ओढ़ा हुवा चद्दर  "उठ भैस कितना सोयेगी "कहकर खींच दिया। चद्दर हटते ही उसकी आँख खुली तो सामने एक सुन्दर सी लड़की खड़ी थी। सामने खड़ी लड़की भी मन को देखकर ऐसे चौकी जैसे भूत देख ली हो। तभी पीछे से मन के मामा की लड़की सुमन आ गई। रिया को ऐसे देखकर पूछी क्या हुवा? ऐसे क्यों खड़ी है।  रिया सुमन के साथ आगे बढ़ गई। 
रिया - तू सोकर उठ चुकी है , और मै तुझे समझकर उस लड़के का चद्दर खींच दी।
सुमन - तू तो ऐसे कह रही है जैसे उसे जानती ही नहीं..
रिया - चेहरा तो जाना पहचाना है पर कौन है याद नहीं आ रहा।
सुमन - मन भैया हैं।
रिया - ओह् तो ये आपके मन भैया हैं।
सुमन - जी हाँ हमारे भैया और आपके सैया।
रिया - मार खायेगी बदमाश ज्यादा बोलेगी तो।
इतना कहकर रिया शरमाते हुवे अपने घर की ओर चली ।
जैसे ही घर के बाहर निकली तो मन से टकरा गई। फिर सॉरी बोलकर आगे बढ़ गई। मन भी मुस्कुराकर रह गया।   मन के मामा ने मन का नाम रिया के ही स्कूल में लिखवा दिया।  दोनों साथ साथ स्कूल जाने लगे।  दोनों साथ साथ पढ़ते खेलते और ज्यादातर समय साथ साथ रहते।
दोनों एक दूसरे में इस हद तक खो गए थे की एक पल की भी जुदाई बर्दास्त नहीं होती थी। मन के मामा और रिया के घर वालो को भी कोई  आपत्ति नहीं थी, क्युकी रिश्ते की बात पहले ही जो हो चुकी थी। 
एक दिन जब रिया और मन स्कूल से लौट रहे थे तो रिया का पैर फिसल गया और मोच आ गई।  मन उसे अपने गोदी में उठकर साइकल पर बिठाने लगा। आज रिया जब मन के करीब आई तो एक अलग ही एहसास हो रहा था। बड़ा अच्छा लग रहा था। मन को भी आज कुछ बदला सा लगा रिया को छूकर खुद को खोता सा लगा। एक पल को आँखे चार हुई, गुपचुप ही कुछ बात हुई, प्यार का सागर हिलोरे मरने लगा , पर संकोच और लज्जा के मन आगे टिक न सका।  मन रिया को बैठाकर घर लाया।  आग लग चुकी थी , अरमान दोनों के दिल में पलने लगे थे, दोनों एक दूसरे को अच्छे लगने लगे थे।  अगले दिन जब दोनों स्कूल जाने लगे तो चुप थे समझ नहीं आ रहा था की बात कहा से शुरू करे। कुछ कहने को सूझ नहीं रहा था। तभी रस्ते में एक सरसो खेत के पेड़ से एक फूल तोड़कर रिया मन के आगे कर दी।  मन एक पल को कुछ नहीं समझा पर फूल ले लिया। लौटते समय रास्ते में रिया रुक गई। मन भी रुक गया। रिया बैग से एक गुलाब का फूल निकाल कर मन के आगे कर दी।  मन को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करे , फिर वह साइकल आगे बढ़ा दिया। 

मन रिया को पसंद करता था पर किसी रिश्ते में बधने से डर रहा था।  अब तो रिया मन को अपना सब कुछ मान चुकी थी , पाने को ठान चुकी थी, पर मन रिया से थोड़ी दूरी बनाने लगा था  

 

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