इलाहबाद शहर ! अपने
धार्मिक, पौराणिक और संस्कृति
के लिए जाना
जाता है। संगम ( पतितपावनी
माँ गंगा, यमुना
और सरस्वती का
मिलन ) इसी शहर में होता
है। बधवा
के बजरंगबली, नौलखा
मंदिर ,अकबर का किला , भरद्वाज
आश्रम और भी अनेको पवित्र
और दर्शनीय स्थल
इलाहबाद के
महत्व को दर्शाते
हैं। इलाहबाद को
प्रयागराज के नाम
से भी जाना जाता है।
इन सबके साथ
साथ यह शहर अपने विद्वता
और शिक्षा के
लिए भी जाना जाता है। प्रशिद्ध
इलाहबाद यूनिवर्सिटी यहाँ
के गौरव में
चार चाँद लगाती
है। इस
शहर ने देश को कई
नेता, अभिनेता और
और अधिकारी दिए
हैं। देश की सबसे कठिन
परीक्षा I.A.S. में
यहाँ के विद्यार्थियों
का परचम हमेशा
बुलंद रहा है।
यह कहानी आधुनिक
प्यार के आधुनिक
नजरिये को आइना दिखाती है
। सच्चे
प्यार की परिभाषा
को ब्यक्त करती
है। मेरी कामना
है की हमारे
देश
की समाज की हर
प्रेम कहानी ऐसी
ही हो ।
जुलाई का
महीना है। गर्मी और
उमस अपने पूरे
शबाब पर है। पंखा
कूलर सब घुटने
टेक रहे हैं। बड़े
बूढ़े बच्चे सब
परेशान हैं। कोई बालकनी
में बैठ रहा है , कोई
दिन में तीन बार नहा
रहा है। रोशनी भी
गर्मी से परेशान
है, ऊपर से बिजली भी
गुल हो गई।
रोशनी एक
प्रतियोगी छात्रा है
जो इसी महिने
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
करने अपने गांव
लखनपुर से आई है। रोशनी
अपने गांव की और परिवार
की पहली लड़की
है जिसे शहर
जाकर पढ़ने को मौका मिला
है। इसका श्रेय
उसके पामा को जाता है। वह
अपने पिताजी को
पामा ही बुलाती
है, क्युकी जब
वह सिर्फ एक
साल की थी तो उसकी
माँ भगवान को
प्यारी हो गई। तबसे
पापा और माँ दोनों का
प्यार वह अपने पिता
रामलोचन मिश्रा से
ही पाई थी इसीलिए वह
प्यार से उनको पामा कहकर
बुलाती है। रामलोचन
मिश्रा जी एक इण्टर कॉलेज
में प्रिंसिपल हैं
,और अपने क्षेत्र
के प्रतिष्ठित ब्यक्तियो
में से हैं। रोशनी को
वह अपनी बेटी
कम बेटा ज्यादा
मानते हैं। रोशनी जब
शहर पढ़ने के लिए बोली
तो मानो घर परिवार और
गांव में हाहाकार
मच गया। रिश्तेदार कहने लगे
की, जवान लड़की
को अकेले शहर
भेजना कत्तई ठीक
नहीं है ,कुछ उच नीच
हो गया तो। बुवा तो
दो चार रिश्ते
भी लेकर आ गई की
शहर नहीं इसे
ससुराल भेजो। पापा सबकी
सुन रहे थे। पड़ोस
के चचा जी तो शहर
की लड़कियों के
आठ दस कहानिया
भी सुना दीये। उदाहरण
भी दे दिये की फलनवा
की लड़की ढकनेवा
की लड़की भाग
गई और भी बहुत कुछ। पर
पापा सबकी बोलती यह
कहकर बंद कर दिये की,
मेरी बेटी मेरा
नाम रोशन करेगी। वह
कभी मेरा विश्वास
नहीं तोड़ेगी। रोशनी शहर
आ गई और तैयारी शुरू
कर दी। दोपहर
के दो बज रहे थे
पर बिजली नहीं
आई। पिछले
दिन भी बिजली
की वजह से चार घंटे
पढाई का नुकसान
हो गया था। रोशनी के
सामने भी अब केवल एक
विकल्प
था। रोशनी
अपनी किताबे उठाई
और और पार्क
में पहुंच गई। जहा
तहा इधर उधर उसे प्रेमी
युगल बाहो में
बांह डाले बैठे
दिख रहे थे। एक
बार तो दिल में आया
की वह लौट जाये तभी
एक पेड़ के नीचे उसे
एक अकेला लड़का
पढता दिखा। रोशनी
को वह जगह सुरक्षित और सही लगी।
रोशनी भी वही
लड़के से थोड़ी दूर जाकर
बैठ कर पढ़ने लगी।
लड़का अपनी पढाई
में ब्यस्त था। ठंडी
हवा और पेड़ की छाव
में रोशनी का भी
मन पढ़ने में
लगा। पांच
बजे तक पढ़ने के बाद
रोशनी वापस आ गई।
अब रोशनी रोज
ही उस पार्क
में पढ़ने जाने
लगी और रोज उसी जगह
पर जहा वह लड़का पढता
था। रोशनी
उस लड़के को जानती नहीं
थी पर उसपर अनजाना ही
सही विश्वास हो
गया था। रोशनी की
नजर भूल चूक से उस
पर पड़ भी जाती थी
पर उसको
कभी भी
खुद की तरफ देखता नहीं
पाई। एक
साधारण सा लड़का
, बगल में हवाई
चप्पल पड़ा , एक पालीथीन
जमीन पर विछाये
अपनी पढाई में
मशगूल रहता था। यदा
कदा नजर पड़ने
पर रोशनी को
इतना अंदाजा लग
गया था की वह भी
प्रशाशनिक परीक्षाओ की तयारी
कर रहा है। ऐसे
ही दो चार दिन बीते। जब
वह पार्क में
पढ़ रही थी तो उसकी
पेन ख़त्म हो गई । रोशनी
के समझ में नहीं आ
रहा थी की वह क्या
करे। रोशनी उस लड़के से पेन के लिए बोली। लड़का चुपचाप पेन थमा दिया और रोशनी की तरफ देखा
तक नहीं। रोशनी जब चलने लगी और देखि तो लड़का
जा चुका था। अगले दिन फिर रोशनी की मुलाकात
उसी जगह उस लड़के से हुई। रोशनी धन्यवाद बोलकर
उस लड़के को उसका पेन वापस कर दी। रोशनी उससे पूछी
रोशनी - प्रशाशनिक परीक्षाओ
की तयारी करते हो ?
वह लड़का - जी हा।
लड़के की आवाज बड़ी मुश्किल
से रोशनी तक पहुंची।
रोशनी - नाम क्या है
तुम्हारा।
लड़का - वेद तिवारी।
दोनों में ऐसे ही थोड़ी
बात शुरू हुई और फिर दोनों कुछ दिनों में एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वेद पढ़ने में बहुत अच्छा था , वह पूरी लगन के साथ
पढाई करता था। रोशनी को भी उससे बहुत मदत मिल जाया करती थी। तीन महीने बीत गए दोनों
एक दूसरे से बहुत अच्छे से जान पहचान हो गई। एक दिन वेद बोला की वह गांव जा रहा है।
उसे फसल की कटाई में अपने माँ बाप की मदत करनी है।
रोशनी - तुम्हारी पढाई का नुकसान होगा।
वेद - होगी , पर नहीं
करुगा तो कौन करेगा, और खाऊंगा क्या ?
रोशनी - मजदूर लगा लो।
वेद - एक बीघे खेत है
अगर उसमे भी मजदूर लगाऊगा तो हमें क्या बचेगा। वैसे भी बाबूजी की तबियत ठीक नहीं रहती
तो उनको ज्यादा काम नहीं करने दे सकता।
रोशनी को वेद की बाते
सुनकर बड़ा अच्छा लगा। वह उसको जितना अच्छा समझ रही थी वह उससे भी बढ़कर था। ऐसा ब्यक्तित्व तो सिर्फ फिल्मो में ही दीखता था
पर आज हकीकत में उसके सामने था . रोशनी आज तक उसे सिर्फ दो कपडे बदलते देखि थी। पैरो
में वही हवाई चप्पल और पुराने ज़माने की साइकल।
वेद अपने गांव चला गया। रोशनी दोपहर में वह पढ़ने पहुंची ठण्ड का मौसम आ
गया था। अब पेड़ से हटकर धुप में बैठकर पढ़ती
थी। वेद के बिना उसका पढ़ने में मन नहीं लग
रहा था। वेद के बिना सब सूना सूना लग रहा था। दिल को उसकी तड़प महसूस हो रही थी। अजीब सी बेचैनी
हो रही थी। उसकी बाते, उसकी मासूमियत , उसकी हसी , उसकी सादगी सब बहुत याद आ रहा था। शायद रोशनी को वेद से प्यार हो गया था। ऐसा मै नहीं
रोशनी का दिल रोशनी से कह रहा था। आखिर दिल
और दिमाग में दिल की जीत हुई। रोशनी ने वेद
को फ़ोन मिलाया। वेद उस समय धान के गठ्ठर सर
पर रख्खे खरिहान की तरफ बढ़ रहा था। रोशनी का
फ़ोन देखकर एक हाथ से गठ्ठर संभाला और एक हाथ से फ़ोन उठाया।
रोशनी - वेद ब्यस्त तो
नहीं हो, एक प्रश्न पूछना था।
वेद - हम ब्यस्त नहीं
मस्त है।
रोशनी - मतलब ?
वेद - मतलब सर पर धान
के बोझ का गठ्ठर है, तो थकान से मस्त है।
रोशनी - ठीक है मै बाद
में बात करती हु।
रोशनी को वेद की यह अदा
भी पसंद आई। वेद में न कोई दिखावा न कोई झूठ, न कोई झूठी शान , कुछ भी नहीं।
रोशनी को वेद के बिना एक एक दिन काटना मुश्किल हो
रहा था। उसका पढाई में भी मन नहीं लग रहा था। वेद के वापस आने का इन्तजार था। आखिर
बड़ी मुश्किल से पंद्रह दिन बीते। अगले दिन रोशनी थोड़ा सज सवर कर उसी पेड़ के पास पहुंची।
अभी वेद नहीं आया था। उसे लगा थोड़ी देर में आएगा। धीरे धीरे शाम चार बज गए। रोशनी के सब्र ने जवाब दे दिया तो उसने
वेद को फ़ोन लगाया। वेद का फ़ोन दो तीन बार में उठा।
रोशनी - आज पार्क में
पढ़ने क्यों नहीं आये ?
वेद - मै अभी गांव में
ही हु।
रोशनी - क्यों , क्या
खेती करने का ही इरादा है क्या ?
वेद - वो बाबूजी की तबियत
ठीक नहीं है।
रोशनी - कब आओगे ?
इस बार इस बात में इन्तजार
और अपनापन साफ साफ उतर आया। पर वेद इनसब से अनजान समझ नहीं पाया।
वेद - जल्दी ही।
रोशनी कुछ न बोल सकी
बस आँखों में आंसू और चहरे पर उदासी उसके दर्द को बया कर गई।
रोशनी रोज पार्क में
इस आशा के साथ आती की आज वेद आएगा , और शाम को निराशा लिए चली जाती।
किताबो को देखते देखते वेद की यादो में खो जाती।
फ़ोन करती पर अब तो फ़ोन भी बंद जाने लगा था।
समय बीतता गया और रोशनी
का प्यार वेद के लिए और भी गहरा होता गया।
रोशनी रोज उस नंबर पर
दो तीन बार इस आशा से फ़ोन लगाती की शायद लग जाये पर हर बार वही आवाज आती की नंबर बंद
है।
रोशनी P.C.S के एग्जाम
में बैठी पर फेल हो गई। यह बात उसके पूरे गांव
और रिश्तेदारों को पता लग गई। मिश्रा जी भी
लोगो के ताने सुनकर तंग आ गए थे और अब वो भी कन्यादान करके गंगा स्नान करना चाहते थे।
एक दिन मिश्रा जी जब कॉलेज से लौट रहे थे तो उनके एक विद्यार्थी के पिता शुक्ल जी से
मुलाकात हो गई। शुक्ल जी का लड़का आशीष पढ़ने में बड़ा ही होनहार था और मिश्रा जी को
प्रिय भी था। शुक्ल जी से पता चला की वह लड़का डॉक्टर बन गया है। मिश्रा
के मन में अभिलाषा हुई की क्यों न रोशनी की और आशीष की शादी कर दी जाये। मिश्रा जी अपने दिल की बात शुक्ल जी के समक्ष रख्खे। शुक्ल जी हाथ जोड़कर खड़े हो गए और बोले की आपके यहाँ
रिश्ता होना तो सौभाग्य की बात है। रोशनी को मिश्रा जी गांव बुला लिए। उसकी शादी की बात उसे बताई गई। रोशनी बोली की जबतक वह अपने पैरो पर खड़ी नहीं हो
जाती शादी नहीं करेगी। मिश्रा जी बोले परिवार
अच्छा है शादी के बाद अपने सपने पूरे कर लेना।
रोशनी अपने दिल की बात वेद के बारे
में पामा को बताई।
मिश्रा जी - लड़का करता
क्या है
रोशनी - वो भी तैयारी
करता था लेकिन, अब तो गांव में खेती करता है।
मिश्रा जी - तो तुम्हारे
फेल होने के पीछे ये वजह थी। तुम भी दूसरी
लड़कियों की तरह निकली। तुम कुछ नहीं कर सकती
सिवाय मेरी इज्जत मिटटी में मिलाने के।
इतना कहते ही मिश्रा
जी के आँखों में आंसू आ गए।
आज से पहले पामा को इतना
दुखी रोशनी ने कभी नहीं देखा था। उसका दिल फटा जा रहा था वह हाथ जोड़कर मिश्रा जी के
सामने बैठ गई।
रोशनी - आप मुझे बस एक
मौका दीजिये अगर मै कुछ न बन पाई तो आप जहा कहेगे वहा शादी कर लूगी। बस एक मौका।
मिश्रा जी बेटी के सर
पर हाथ फेरे और बोले - जाओ पर अपना वादा याद रखना।
रोशनी शहर पहुंची और
पढाई में जुट गई। इधर मिश्रा जी शुक्ल जी से
शादी के लिए एक साल का समय मांग लिए।
ईश्वर ने साथ दिया रोशनी
की मेहनत रंग लाई। रोशनी इस बार उप जिलाधिकारी के पद पर चयनित हो गई। पर आज भी उसके
दिल में वेद ही था। शायद ये वेद को पाने की
चाह ही थी जो उसे यहाँ तक ले आई थी। रोशनी को तो ये भी नहीं पता था की वेद कहा है,
किस गांव में और कही शादी तो नहीं कर लिया है।
एक आशा एक विश्वास और
प्यार की डोर में बंधी रोशनी उसके इन्तजार में थी।
रोशनी वेद का पता लगाने की बहुत कोशिश की पर पता नहीं
लगा। ट्रेनिंग के बाद उसकी पोस्टिंग प्रतापगढ़
जिले में हो गई। एक दिन एक जमीन हड़पने का मामला रोशनी के पास आया। गांव के दबंग ठाकुर ने गरीब ब्राह्मण की जमीन पर
जबरन कब्ज़ा कर लिया था। रोशनी सच्चाई जानने के लिए उस जगह पहुंची। ठाकुर की बाते सुनने के बाद वह तिवारी जी के घर
पर पहुंची। एक बूढ़ा आदमी एक चारपाई बिछाकर
रोशनी मैडम को बैठाया। मैडम के लिए पानी लाने
के लिए अपने लड़के को आवाज दिया और रो रो कर अपनी बात बताने लगा। एक 28 साल का लड़का एक लोटे में पानी कटोरी में गुड़
और गिलास लेकर बाहर आया। वह पानी गुड़ की कटोरी
और गिलास पर ध्यान दे रहा था मैडम पर नजर नहीं पड़ी। मैडम की नजर उस पर पड़ गई। रोशनी उस लड़के को देखते ही खड़ी हो गई। बूढ़े तिवारी जी डर गए की उनसे कोई गलती हो गई क्या। वेद की नजर भी
रोशनी पर पड़ी। वेद भी रोशनी को पहचान
गया। रोशनी की आँखों में आँसू आ गये उसका दिल
किया की जाकर वेद को गले लगा ले पर वेद तो रोशनी की दिल की बातो से अनजान था। थोड़ी देर दोनों में बात हुई और वेद बताया की ठाकुरो ने दो साल पहले
उसके खेत पर कब्ज़ा कर लिया इसलिए अब वह मजदूरी करके परिवार का खर्च चलाता है। रोशनी उसे अगले दिन बुलाई और फिर से तैयारी करने
के लिए बोली। वेद तैयार नहीं हो रहा था पर
इस शर्त पर मान गया की उसका खेत रोशनी वापस दिला देगी। रोशनी वेद को अपने ही घर में
रख ली और सारी सुविधाएं मुहैया करा दी। वेद
के घर की सारी परेशानिया दूर कर दी। रोशनी
के साथ कोई लड़का उसके घर में रहता है यह बात रोशनी के गांव में पहुंची तो तरह तरह की
बात होने लगी। मिश्रा जी रोशनी को गांव बुलाये
और इस बारे में पूछे। रोशनी सब सच सच बता दी। वह अपने पामा से भला कुछ कैसे छुपाती।
मिश्रा जी - बेटी बाकि सब तो ठीक है पर लड़का करता
क्या है।
रोशनी - पामा कुछ नहीं
अभी तैयारी कर रहा है ।
मिश्रा जी - वो तो ठीक
है पर जब रिश्तेदार और गांव के लोग पूछेंगे तो क्या बताउगा की क्या करता है।
रोशनी - पामा वह बहुत
अच्छा लड़का है एक बार आप मिल तो लीजिये।
मिश्रा जी - बेटी मुझे
मेरी इज्जत जान से प्यारी है, सोचा था कन्यादान करके स्वर्ग जाउगा पर शायद मेरी किस्मत
में यह सुख नहीं है।
रोशनी - पामा मुझ पर
विश्वास रखिये, मै आपका सम्मान और मान कभी कम नहीं होने दूगी।
इतना कहकर रोशनी वहा
से निकल दी।
वेद मन लगाकर पढ़ रहा
था पर इस बार के परीक्षा में वह साक्षात्कार में बाहर हो गया। अब वह निराश हो रहा था।
रोशनी के दिल की बात भी उसे पता चल गई थी पर दोनों में अभी भी इजहार बाकि था। रोशनी अपने पामा की इज्जत के लिए अभी खुद को संभाले
थी। पर कहते है की इश्क और मुश्क छुपाये नहीं
छुपते। वेद शाम को निराश गार्डन में टहल रहा
था। रोशनी आई और वेद से परेशान होने का कारण पूछी।
वेद - रोशनी तुम ये सब,
इतना क्यों कर रही हो। मेरी किस्मत में शायद
गांव का वही किसान बनना ही लिखा है।
वेद का इतना बोलना था
की रोशनी उसके पास आकर उसके होठो पर उगली रखकर चुप करा दी।
रोशनी - तुम्हारी किस्मत
में पहले I.A.S. बनना लिखा है, उसके बाद मेरा सजना बनना।
इतना कहकर रोशनी चुप
हो गई वेद भी कुछ न बोल पाया।
वेद पूरी मेहनत से जुट
गया, रोशनी भी अपनी तरफ से पूरा सहयोग कर रही
थी और आखिर वह दिन आया जब वेद जिलाधिकारी वेद बन गया। जिलाधिकारी बनने के बाद रोशनी वेद को अपने पामा
से मिलाने ले गई।
मिश्रा जी - रोशनी तुमने साबित कर दिया की प्यार
सच्चा हो तो दुनिया की कोई ताकत कोई परेशानी उन्हें मिलने से नहीं रोक सकती। मुझे गर्व
है तुम पर और खुद के संस्कार पर।
मिश्रा जी कन्यादान किये
और गंगा नहाये।
प्यार को कमजोरी नहीं
अपनी ताकत बनाओ, कदम से कदम मिलाकर एक इतिहास बनाओ
Man ( Bawara)